(Congress vs BJP) : इन दिनों मध्य प्रदेश की सियासत में ऐसा कुछ हो रहा है, दोनों ही प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के नेता एक दूसरे से सवाल पूछ रहे हैं, कुल मिलाकर राज्य की सियासत सवालों में उलझ कर रह गई है ।मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव कब होंगेराज्य में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, दोनों ही दल यह मानकर चल रहे हैं कि इन चुनावों में कड़ी टक्कर होनी है और जिसकी रणनीति बेहतर होगी, संगठन काम करेगा और नेताओं की बात जनता को रास आएगी, वही सत्ता के सिंहासन पर कब्जा जमा सकता है।
राज्य के विधानसभा चुनाव में कड़े मुकाबले के आसार होने की वजह भी है, ऐसा इसलिए क्योंकि 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में दोनों ही राजनीतिक दलों को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, मगर कांग्रेस बहुमत के करीब पहुंची थी, विधानसभा की 230 सीटों में से कांग्रेस 114 और भाजपा 109 सीटों पर आकर सिमट गई थी, कांग्रेस को सत्ता मिली मगर 15 महीने बाद पार्टी में बिखराव हुआ और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 22 विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया, इसके बाद बीजेपी ने सत्ता संभाली और उपचुनाव में जीत दर्ज की ।
दोनो दलों की रणनीति
राज्य में अब चुनाव करीब आ रहे हैं तो दोनों ही राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ रही है, दोनों ही दलों के नेता बैठकें, संपर्क, संवाद और सभा करने के अभियान में लगे हुए हैं, मुख्य रूप से कांग्रेस की कमान पूरी तरह प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने संभाल रखी है, वहीं सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान अपनी सरकार की सफलता को गिनाने में लगे हैं ।
बीते एक माह से राज्य की सियासत सवालों के इर्द-गिर्द घूम रही है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां कांग्रेस के 15 माह के शासनकाल से पहले किए गए वादों को याद दिला रहे हैं, इसके साथ ही वो कांग्रेस पर बेरोजगार, किसान, कर्मचारियों के साथ वादा- खिलाफी करने के आरोप लगाए जाने वाले सवाल पूछ रहे हैं, वहीं कमलनाथ की तरफ से अपनी सरकार की उपलब्धियां और शिवराज सरकार के 15 साल के वादे याद दिलाए जा रहे हैं. कुल मिलाकर दोनों ही राजनेता एक दूसरे से सवाल कर रहे हैं और सवाल के जरिए ही जवाब देते दिख रहे हैं ।
MP में सवालों की सियासतराजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मूल मुद्दों से दूर रहते हुए अपने को सवालों में समेटे जा रहे हैं, इसकी वजह भी है क्योंकि अभी चुनाव में वक्त है और अगर मूल मुद्दों पर हमलावर रुख अपनाया तो चुनाव की तारीख करीब आते-आते दोनों ही राजनीतिक दलों के हाथ में वे मुद्दे नहीं रहेंगे, जिनके जरिए वे जनता को लुभा सकें, दोनों ही नेता एक दूसरे को कमजोर और असफल बताने की कोशिश में लगे हैं ।
(Arish Ahmed Owner At statebreak.in) Journalist🔸