सतना।एकेएस के डॉ. समित कुमार ने पर्यावरणीय उपचार के लिए बायोमास-व्युत्पन्न पर उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने एक पुस्तक अध्याय स्प्रिंगर नेचर पब्लिशर के साथ “पर्यावरण उपचार के लिए उन्नत बायोमास सामग्री की हैंडबुक” पुस्तक में प्रकाशित किया है। डॉ. समित कुमार, रसायन विज्ञान विभाग, एकेएस यूनिवर्सिटी, सतना, एमपी (भारत) और डॉ. छवि शर्मा, सहायक प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, मोहाली, 140413, पंजाब, भारत।के दवरा “पर्यावरण उपचार के लिए बायोमास-व्युत्पन्न बायोचार” शीर्षक से एक पुस्तक अध्याय प्रकाशित किया।
इस पुस्तक अध्याय में लेखक बायोचार क्या है और इसकी उपयोगिता क्या है विस्तृत रूप में समझाया है। उन्होने बताया की बायोचार एक प्रकार का चारकोल है जो बायोमास के ऊष्मीय अपघटन द्वारा बनाया जाता है, लेकिन इसमें ऑक्सीजन का उपयोग नहीं किया जाता है। अनिवार्य रूप से, बायोमास स्रोत बायोचार का उत्पादन करते है। बायोचार एक उच्च विशिष्ट सतह क्षेत्र, नष्ट होने योग्य , उत्प्रेरक क्षमताओं और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी के माध्यम से मिट्टी उपचार, जल शुद्धिकरण और जलवायु परिवर्तन को कम करने जैसे पर्यावरणीय अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला के रूप में काम करता है। बायोचार विभिन्न प्रकार के प्रदूषकों, जैसे कार्बनिक, अकार्बनिक और रेडियोधर्मी कचरे के उपचार के लिए एक प्रभावी उपकरण है। लेखकों का ध्यान प्रदूषण निवारण, अपशिष्ट प्रबंधन, मिट्टी की उर्वरता बहाली, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और मिट्टी कार्बन पृथक्करण में बायोचार के उपयोग पर जोर दिया गया है। लेखक अपने विश्लेषण और पिछले बायोचार जांच की तुलना के आधार पर अतिरिक्त शोध के लिए सिफारिशें भी प्रदान की है । विश्वविद्यालय प्रबंधन और उनके सहकर्मियों ने उन्हें उनके कार्य के लिए बधाई दी है।
(Arish Ahmed Owner At statebreak.in) Journalist🔸