इन गर्मियों के सीजन में देसी फ्रिज की बिक्री हुई शुरू, चंदिया के मिट्टी के बर्तन देश व प्रदेश में हैं प्रसिद्ध।

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जबलपुर। उमरिया जिले के चंदिया के मिट्टी के बर्तन अपनी गुणवत्ता, टिकाऊपन और सौंदर्य के लिए जाने जाते हैं। इन बर्तनों में कुल्हड़, हांडी, सुराही, दीया और अन्य पारंपरिक घरेलू वस्तुएं शामिल हैं, जिन्हें प्राकृतिक मिट्टी से तैयार किया जाता है। इनकी मांग न केवल मध्य प्रदेश में, बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी तेजी से बढ़ रही है। चंदिया के मिट्टी के बर्तन प्रदेश और देश में प्रसिद्ध हैं। यहां के मिट्टी के बर्तन छत्तीसगढ़, उड़ीसा सहित बिहार और गुजरात के साथ विदेशी पर्यटक अपने साथ अपने देश भी लेकर जाते हैं। चंदिया के मिट्टी के बर्तनों की खासियत यह है कि, इनमें रखा पानी प्राकृतिक तरीके से ठंडा होता है और यह पानी हमेशा ठंडा बना रहता है।

इसके लिए जिला प्रशासन ने कुम्हारों को प्रशिक्षण भी दिया है। जिससे कुम्हार अब मटका, सुराही और मिट्टी की बॉटल भी बनाने लगे हैं। मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कलाकार मोती ने बताया कि ये हमारा पुराना काम है। पहले हम मटका व सुराही बनाकर आसपास बेचते थे। लेकिन अब हमारे पास दूर-दूर के साथ दूसरे प्रदेशों से भी आॅर्डर आते हैं। हम भी आॅर्डर पुरा करने के साथ स्वयं भी मटका, सुराही आदि भोपाल व छत्तीसगढ़ लेकर जाते हैं।

प्रशिक्षण से आय में हुई वृद्धि :

सुरेश, आशीष, मोहन आदि कुम्हारों ने बताया कि, पहले हम मटका और सुराही बनाते थे। हमको जिला प्रशासन ने प्रशिक्षण दिलवाया तो हम डिजाइन वाली सुराही और बॉटल के साथ मिट्टी की कढ़ाई, गमला, करछी, गुल्लक भी बना कर बेचते हैं। शासन की मदद और हमारी मेहनत से आय बढ़ी है। हम लगातार व्यापर को बढ़ा रहे हैं।

इस तरह करते हैं तैयार :

कलाकार नंदकिशोर ने बताया कि, मटका, सुराही, बॉटल और मिट्टी से बनने वाले सामान देखने में जितने सुंदर लगते हैं उन्हें बनाना उतना ही कठिन है। हम पहले मिट्टी लाते हैं उसके बाद उसे सुखाकर कुटाई करते हैं फिर उसको साफ करने के बाद मिट्टी को गीला कर चक्के में रखते हैं। चक्का पहले हाथ से चलाया जाता था। लेकिन अब मशीन से चलता है। फिर बर्तन तैयार करने के बाद कलर किया जाता है और अंत में उसको आग में पकाया जाता है।

—- संजय दुबे, जबलपुर मो. 9407064841

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