किसान की बेटी बनी सिविल जज, वकालत की प्रैक्टिस करते समय चढ़ा जज बनने का जुजून, सेकंड अटेंप्ट में पाई MP में 11वीं रैंक ।

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(MADHYA PRADESH) सागर के किसान परिवार में जन्मी सृष्टि कुशवाहा ने मात्र 25 साल की उम्र में सिविल जज की परीक्षा पास कर ली है। सेकंड अटेंप्ट में ही सृष्टि ने OBC कोटे से मध्यप्रदेश में 11वीं रैंक हासिल की है। सृष्टि ने वर्ष 2022 में एलएलबी ऑनर्स की परीक्षा डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर से पास की थी। सिविल जज बनने के लिए सृष्टि ने परिवार की मदद से पढ़ाई की और सफलता हासिल की है। रिजल्ट घोषित होते ही परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है। घर पर बधाई देने वाले पहुंच रहे हैं। सिविल जज बनने पर गांव के लोगों ने स्वागत के लिए बेटी सृष्टि को आमंत्रित किया है। सिविल जज बनने वाली सृष्टि कुशवाहा रुसल्ला गांव के किसान परिवार की बेटी हैं। उनके पिता किसानी करते हैं। घर में मां गृहणी और दो छोटी बहनें हैं। बेटियों की पढ़ाई के लिए पिता विश्वनाथ कुशवाहा गांव से सागर आ गए। तिली क्षेत्र के शिवाजी नगर में बालक हिलव्यू कॉलोनी में रहने लगे। सृष्टि ने शुरुआती पढ़ाई किड्स एकेडमी स्कूल सागर में की। कक्षा 9वीं से 12वीं तक से सेंट जोसेफ स्कूल में पढ़ाई की।

जिसके बाद डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की। सुप्रीम कोर्ट के जजों को देख ठाना मुझे भी जज बनना है सृष्टि कुशवाहा बताती हैं कि एलएलबी की पढ़ाई के दौरान वर्ष 2018-19 में दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए गई। जहां इंटर्नशिप के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जजों की पर्सनालिटी, उनके काम करने का तरीका और कद देखा तो लगा मुझे भी जज बनना है। तभी से मन में ठान लिया था कि जज बनूंगी। कोरोना काल में दिल्ली से वापस घर लौट आई।

घर में रहकर सेल्फ स्टडी शुरू की और सिविल जज की तैयारी करने लगी।सेल्फ स्टडी और आंसर राइटिंग ने दिलाई सफलतासिविल जज बनीं सृष्टि ने कहा कि जरूरी नहीं है कि किसी भी परीक्षा की तैयारी करने के लिए 12 से 18 घंटे तक पढ़ना पड़े। जरूरी है कि यदि आप 6 घंटे भी पढ़ते हैं तो पूरे फोकस के साथ पढ़ें। फोकस के साथ लगातार पढ़ाई करना चाहिए। मैंने सिविल जज बनने का लक्ष्य बनाया। दिल्ली से घर आई तो सेल्फी स्टडी शुरू की। इसी बीच जबलपुर की रहने वाली शिवा दुबे से ऑनलाइन कोचिंग ली। उन्होंने आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस कराई। जहां जरूरत पड़ी मदद की। लगातार पढ़ाई और आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस करने आज मैं इस मुकाम को हासिल कर पाई हूं। तैयारी कर रहे बच्चों को लगातार फोकस पढ़ाई करना चाहिए।

साथ ही उन्हें आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस जरूर करना चाहिए।फर्स्ट अटेम्प्ट में एग्जाम क्लियर नहीं हुआ तो हार नहीं मानीसृष्टि ने एक साल पहले सिविल जज के लिए पहला प्रयास किया था। फर्स्ट अटेंप्ट में सृष्टि ने प्री क्लियर कर लिया। लेकिन मैंस में नहीं निकल पाई। जिसके बाद सृष्टि ने हार नहीं मानी और पूरी मेहनत के साथ तैयारी जारी रखी। पहले प्रयास में जहां चूक हुई थी उन्हें सुधारा। आंसर राइटिंग में कमजोर होने के कारण पहले प्रयास में सृष्टि का चयन नहीं हो पाया था। लेकिन सेकंड अटेंप्ट में सृष्टि पूरी तैयारी के साथ परीक्षा में शामिल हुई और रिजल्ट आने पर ओबीसी कोटे से मध्यप्रदेश में 11वीं रैंक हासिल की।माता-पिता का साथ और बहनों ने बढ़ाया आत्मविश्वास सृष्टि की मां राधादेवी कुशवाहा गृहणी हैं।

उन्होंने सृष्टि की पढ़ाई के प्रति लग्न को देखते हुए कभी घर का काम नहीं कराया। सिर्फ उसे पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करती रहीं। वहीं पिता भी हमेशा बेटी के साथ खड़े रहे। एलएलबी की पढ़ाई के दौरान बेटी को दिल्ली सुप्रीम कोर्ट इंटर्नशिप के लिए भेजा। छोटी बहनें ओजस्विनी और तेजस्विनी ने हमेशा आत्मविश्वास बढ़ाया और पढ़ाई में साथ दिया। छोटी बहनों का भी आईएएस और आईपीएस बनने का सपना है।गांव में सुविधाएं नहीं मिली तो सागर हो गए शिफ्ट सृष्ट के पिता विश्वनाथ कुशवाहा ने बताया कि गांव में बेटियों की पढ़ाई के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। जिस कारण बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए गांव से सागर में परिवार के साथ आकर रहने लगा। किसानी करता हूं। लेकिन बेटियों की पढ़ाई में कोई कमी नहीं रहने दी। सृष्टि शुरू से ही पढ़ाई में अच्छी है। वह सिविल जज बनना चाहती थी। बेटी का सपना पूरा कराने के लिए उसके साथ हर कदम पर साथ खड़ा रहा।

उसे जो मदद और जरूरत पड़ी, अपनी कोशिश तक पूरा किया, नतीजा आज बेटी ने सिविल जज बनकर मेरा मान बढ़ाया और मेरे संघर्ष को सफलता दिलाई।

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