The Kerala Story Movie: हिंदी सिनेमा की नई बानगी लाए विपुल अमृतलाल शाह, अदा और सुदीप्तो की जुगलबंदी का जलवा, कई जगहों पर फिल्म हुई टैक्स फ्री….

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The Kerala Story Movie: मसाला फिल्मों का कारोबार हिंदी सिनेमा में तेजी से डूब रहा है। पहले ‘भोला’ और फिर ‘किसी का भाई किसी की जान’ की उम्मीद से कहीं कम हुई कमाई ने बड़े सितारों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है, बड़े बड़े सितारों की कोई दो दर्जन हिंदी फिल्में रिलीज की कतार में हैं और सब अब बॉक्स ऑफिस पर ‘सेफ पैसेज’ की तलाश में हैं, शाहरुख खान की फिल्म ‘जवान’ की रिलीज डेट बदलने की सुरसुरी ने ही हिंदी सिनेमा में बीते कई दिनों से हलचल मचा रखी है। और, इस बात में कोई शक नहीं है कि सिनेमा अब कोरोना के बाद बदली जनमानस की अवधारणाओं के जितने करीब हो सकेगा, उतनी ही कामयाब रहेगा, सिनेमा ‘सॉफ्ट पॉवर’ है और इसका प्रयोग कैसे किया जा सकता है, ये फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ बहुत अच्छे से समझाती है….

The Kerala Story Movie: फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर एजेंडा फिल्म होने के आरोप लगे हैं, आरोप लगा कि 30 हजार लड़कियों के धर्म परिवर्तन का आंकड़ा झूठा है। ये फिल्म कहानी चार युवतियों की है। तीन पाले के एक तरफ और चौथी दूसरी तरफ। लेकिन, अगर ये सच्ची कहानी किसी एक भारतीय युवती की भी है तो भी इसे दुनिया को दिखाया ही जाना चाहिए, फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ सिरे से समझाती है कि ‘लव जिहाद’ को कैसे अंजाम दिया जाता है, फिल्म खत्म होने के बाद उन परिवारों के लोगों के असल इंटरव्यू दिखाए गए हैं, जिनके साथ ये सब वाकई हो चुका है। एक हंसते खेलते परिवार की युवती शालिनी जिसे अपनी संस्कृति, अपने परिवार, अपने रहन सहन और अपने आस पड़ोस से प्यार है, नर्स बनने के लिए वह नर्सिंग कॉलेज आती है, हॉस्टल में उसकी जिन युवतियों से दोस्ती है, उनमें से एक उसे एक ऐसे रास्ते पर ले जाने का तानाबाना बुनती है, जहां से वापसी की राह ही नहीं है केरल से श्रीलंका, श्रीलंका से अफगानिस्तान और अफगानिस्तान से सीरिया का उसका सफर वहां आकर थमता है जहां उसके जैसी तमाम लड़कियां आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के कैंप में सिर्फ इसलिए जमा की गई हैं कि वे इन आतंकवादियों की देह की भूख मिटा सकें….

फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ The Kerala Story Movie: शुरू होते ही बताती है कि जिन युवतियों की कहानियों पर ये फिल्म बनी है, उनके घरवालों ने कैमरे पर अपनी आपबीती सुनाई है, शुरू शुरू में तो लगता है कि ये एक ऐसी फिल्म है जिसे किसी खास राजनीतिक उद्देश्य से ही बनाया गया है, लेकिन, जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, ये दर्शकों को अपने साथ जोड़ने लगती है, दिखावे के हमले, दिखावे की सहानुभूति और दिखावे के प्रेम से युवतियों को बरगलाया जाता है, इस्लाम के मायने तोड़ मरोड़कर समझाए जाते हैं, यहां तक कि हिंदू देवी देवताओं और ईसा मसीह के बारे में तमाम ऐसी बातें कही जाती हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि अगर यही बात किसी और धर्म के बारे में कही गई होती तो क्या उस धर्म के अनुयायी भी इतने ही सहिष्णु होकर ये फिल्म देखते रहते। धर्म प्रचारकों के हथकंडों का पर्दाफाश करती फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ खत्म होते होते एक ऐसी सच्ची घटना पर आधारित फिल्म बन जाती है जिसे कहना हर कालखंड में जरूरी लगता है…..

सहायक कलाकारों का बेहतरी प्रदर्शन: फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ में शालिनी की सहेलियों के किरदार में योगिता बिहानी और सिद्धि इदनानी ने भी बहुत ही असरदार अभिनय किया है, एक कम्युनिस्ट नेता की बेटी के रोल में सिद्धि अपने किरदार का पूरा ग्राफ जीती हैं और प्रेम में डूबी लड़की से लेकर अपनी अस्मिता गंवाकर होश में आई लड़की की घुटने न टेकने वाले एलान तक के दृश्यों में उनका अभिनय नोटिस करने लायक है, योगिता बिहानी के किरदार का काम फिल्म में होशियार लड़की का है लेकिन धोखे से जब उसके साथ भी सामूहिक बलात्कार होता है तो वह इस पूरे षडयंत्र का पर्दाफाश करने का बीड़ा उठाती है, और, इस किरदार को परदे पर इसके सारे अवयवों के साथ योगिता ने बहुत ही खूबसूरती से पेश भी किया है, सोनिया बलानी यहां उस युवती के किरदार में है जिसके पास साधारण घर की युवतियों को बहला फुसला कर उन युवकों के आगोश में पहुंचाने की जिम्मेदारी है जो इनका शीलभंग करके इन्हें अपने कहे रास्ते पर चलने को मजबूर कर देते हैं….

सच्ची घटनाओं पर बनी फिल्म: केरल से लेकर सीरिया और अफगानिस्तान जैसे इलाकों को परदे पर दिखाने के लिए इनकी वास्तविकता के बेहद करीब के स्थलों को फिल्माने के लिए फिल्म के छाया निर्देशक (सिनेमैटोग्राफर) प्रशांतनु महापात्र ने अपने कैमरे को बेहद साध कर रखा है, कॉस्टयूम डिजाइनर राधिका मेहरा की मेहनत फिल्म के किरदारों की वेशभूषा में अच्छे से झलकती है और अंगना सेन व चेतन आचार्य ने फिल्म का वातावरण संजोने में अपनी प्रोडक्शन डिजाइन टीम के साथ मिलकर काफी मेहनत की है, फिल्म के खटकने वाले जो पहलू हैं वह हैं इसका बैकग्राउंड म्यूजिक और इसके मारधाड़ वाले दृश्यों का संयोजन, फिल्म के कलाकारों का मेकअप भी थोड़ा बेहतर और दृश्यों के प्रकाश संयोजन के हिसाब से होता तो असर गहरा होता, फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को अगर निष्पक्ष भाव से देखा जाए तो ये एक प्रोमेगैंडा फिल्म बिल्कुल नहीं नजर आती….

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