सतना। एकेएस के माइनिंग के स्टूडेंट्स की सोहागपुर क्षेत्र की खदानों का दो दिवसीय भ्रमण काफी जानकारी पूर्ण रहा। प्रोफेसर ए.के. मित्तल के मार्गदर्शन में डिप्लोमा माइनिंग एवं डिप्लोमा माइन एण्ड माइन सर्वेइंग चतुर्थ सेमेस्टर के 30 विद्यार्थी मध्य प्रदेश के सबसे बड़े कोयला खदान केंद्र पहुंचे जिसका क्षेत्रफल लगभग 4142 वर्ग किलोमीटर है सोहागपुर कोयला क्षेत्र के अंतर्गत झिलमिल,सोनहत और कोरिया कोयला क्षेत्र भी शामिल है । सोहागपुर कोयला क्षेत्र शहडोल, अनूपपुर जिले में भी फैला हुआ है।फैकल्टी जे.एन. सिंह भी अपने विशाल अनुभव के साथ सोहागपुर क्षेत्र की खदानों का दो दिवसीय भ्रमण करने गये उन्होंने छात्रों को अपने अनुभव के साथ-साथ वर्तमान में हो रही नवीन तकनीकों की भी जानकारी दी ।सभी छात्रों को राजेंद्र,खैरा अंडरग्राउंड खदान का अद्भुत अनुभव हुआ। उन्हें शारदा खदान की सर्वश्रेष्ठ हाईवॉल तकनीक दिखाई गई यह भारत की नवीनतम तकनीक है। स्टूडेंट्स को बताया गया की पतली सिम निकालने के लिए हाईवॉल खनन तकनीक संयुक्त राज्य अमेरिका में बहुत व्यापक रूप से प्रचलित तकनीक है इस तकनीक से हर साल पर्याप्त मात्रा में कोयले का उत्पादन होता है भारत में हाल के समय तक इस तकनीक का कोई अनुप्रयोग नहीं था साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड ने 2011 में सोहागपुर क्षेत्र के कमांड क्षेत्र के भीतर शारदा ओपन कास्ट खदानों में उपलब्ध 0.9 मीटर से 1.5 मीटर की पतली परतों से कोयला निकालने के लिए हाई बॉल मीनिंग तकनीक की शुरुआत की वर्तमान में इस कोयला खदान से हर साल 5 लाख टन से अधिक कोयले का खनन किया जाता है जिससे खदान को 15 साल से अधिक का नया जीवन मिलता है।
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कोयला खदानों में रेस्क्यू स्टेशन की बड़ी भूमिका होती है. सभी छात्र बचाव स्टेशन गए और बचाव प्रभारी को खदान में किसी भी त्रासदी की स्थिति में सभी उपकरणों की कार्यप्रणाली को दिखाया। उनकी विजिट की व्यवस्था प्रोफेसर ए.के. मित्तल द्वारा की गई थी। डीन डॉ. जी.के. प्रधान और एचओडी डॉ. बी.के. मिश्रा ने विजिट की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
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(Arish Ahmed Owner At statebreak.in) Journalist🔸