Aks University : एकेएस विश्वविद्यालय में मोटे अनाजों में प्रशिक्षण का शुभारंभ, फैकल्टी ऑफ़ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी का कार्यक्रम..

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Aks University : सतना। एकेएस यूनिवर्सिटी के कृषि संकाय में 11 सितंबर से मोटे अनाजों की खेती के तरीके, बीज उत्पादन,कीट एवम रोग , विपणन, मूल्यसवर्धन पर 11 सितंबर से 16 सितंबर तक होने वाले कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर ऑनलाइन आईसीएआर,आईआईएमआर की डायरेक्टर तारा सत्यवती जी ने संबोधित करते हुए अग्रिम शुभकामनाएं दी। अतिथियों की उपस्थिति में किया गया। यह हैंड्स ऑन ट्रेनिंग कार्यक्रम आर.एस.कृषि शोध संस्थान और एकेएस विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हो रहा है। इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री श्री बाबूलाल दहिया जी ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों, टीचर्स, वैज्ञानिकों ,कृषकों और छात्र-छात्राओं से अनुभवजन्य बृहद संवाद किया उन्होंने कोदो, कुटकी,सावा,ज्वार,बाजरा,कंगनी,कुट्टू,,धान के पुराने और नवीन संदर्भों पर रोचक जानकारी दी..

Aks University : उन्होंने किसानों की दुर्दशा, गांव की प्राचीन व्यवस्था जिसमें ओरगा प्रथा क्यों विलुप्त हुई, मोटे अनाज समाज से क्यों विलुप्त हुए इस पर जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि खर्च बढ़ने की वजह से मोटे अनाज विलुप्त हुए। उन्होंने गांव की प्राचीन व्यवस्था एवं परंपराओं पर कहा की एक ट्रैक्टर आने से सैकड़ो बैलों के काम शून्य हो गए, उन्होंने किसानों के उपकरण और खेती के बीजों पर बनाए गए उनके म्यूजियम में सभी को आने के लिए आमंत्रित किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.ए.चोपड़े ने कहा की पूरा विश्व मिल्लेट्स अंतर्राष्ट्रीय वर्ष २०२३ के रूप में मना रहा है हम g20 में सभी मेनू मिलेटिस के परोस रहे हैं जो समूचे विश्व के लिए उत्सुकता और उत्साह का विषय है..

Aks University : डॉ.भौमिक ने कहा की मिलेट्स कम पानी की मांग करते हैं और बंजर मिट्टी में अच्छी तरह से फिट हो जाते हैं, जिससे वे समुदायों और किसानों के लिए कम जोखिम वाली फसल बन जाती हैं। विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर आर.एस. त्रिपाठी ने कहा की मोटे अनाज हमारी खेती और हमारे भोजन की विविधता बढ़ाते हैं। मोटे अनाजों के प्रति सजगता बढ़ाना इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। डॉ हर्षवर्धन श्रीवास्तव ने कहा की लोग और संस्थाएं, दोनों ही बड़ा प्रभाव छोड़ सकते हैं। संस्थाओं के प्रयास से मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सकता है और समुचित नीतियां अपनाकर इनकी फसल को फायदेमंद बनाया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर वेद प्रकाश जी ने कहा की लोग भी स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हुए मोटे अनाजों को अपने आहार में शामिल करके इस पृथ्वी के अनुकूल विकल्प चुन सकते हैं..

Aks University : विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर अनंत कुमार सोनी ने प्रकृति के सिस्टम पर बात करते हुए कहा की कोदो, कुटकी जो विलुप्त की कगार पर थी वह फिर से अस्तित्व में आ रहे हैं उन्होंने विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाली फसलों पर जानकारी दी। कृषि संकाय के सभी फैकल्टी को विश्वास है की 2023 में मोटे अनाजों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष का यह आयोजन सुरक्षित, टिकाऊ और स्वस्थ भविष्य की दिशा में एक जनआंदोलन को जन्म देगा। कार्यक्रम के दौरान मि.एस.के. पांडे,डायरेक्टर ,एलपीएम ने बताया की इस कार्यक्रम में अलग अलग वैज्ञानिक के द्वारा प्रशिक्षण दिया जायेगा । साथ ही इस कार्यक्रम में किसान,शोध छात्र भी शामिल होकर मुख्यधारा के अनाजों के विपरीत,मोटे अनाजों की खेती के लिए कम कीटनाशक और कम उर्वरक की आवश्यकता पर जानकारी हासिल होगी..

Aks University : अंत में मुख्य अतिथि पद्मश्री श्री बाबूलाल दहिया का स्वागत मोमेंटो,शॉल एवं श्रीफल देकर किया गया। कार्यक्रम के कन्वीनर डॉ.नीरज वर्मा,आयोजन सचिव अयोध्या पांडे ,संयोजक राजवीर सिंह गौर एवं अंकित भगत हैं। मंच के माध्यम से अतिथियों ने स्मारिका का तालियों की करतल ध्वनि के बीच विमोचन किया ।कार्यक्रम का संचालन डॉ. संतोष कुमार और फैकल्टी राफिया अमीन कुरैशी ने किया। वोट आफ थैंक्स प्रोफेसर आर.सी.त्रिपाठी ने किया..

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