Rahul Gandhi Case : बता दे की अदालत का कहना है कि कथित टिप्पणियाँ ‘अच्छे स्वाद’ में नहीं थीं, इसमें कहा गया है कि ‘सार्वजनिक जीवन में एक व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय कुछ हद तक सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है, और आगे भी की जाएगी, सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त, 2023 को 2019 में एक राजनीतिक रैली के दौरान कथित तौर पर की गई ‘मोदी’ उपनाम वाली टिप्पणी के लिए आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता Rahul Gandhi की सजा पर रोक लगा दी है..
Rahul Gandhi Case : जानकारी के लिए बता दे की इस रोक ने Rahul Gandhi के संसद में लौटने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है, अगर लोकसभा सचिवालय उनकी सदस्यता बहाल करता है तो वह मौजूदा मानसून सत्र में भाग ले सकते हैं। जानकारों ने बताया कि गुजरात ट्रायल जज, श्री Rahul Gandhi को उनकी कथित टिप्पणियों के लिए कड़ी फटकार लगाने के अलावा, कांग्रेस नेता को दो साल की अधिकतम कारावास की सजा देने का एक भी कारण बताने में विफल रहे..
सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल मिली राहत :
Rahul Gandhi Case : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष Rahul Gandhi को ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत मिली है। कोर्ट ने शुक्रवार को एक अंतरिम आदेश में कांग्रेस नेता की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी पर मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। ऐसे में बड़ी बात ये भी ये भी है कि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राहुल लोकसभा सदस्यता बहाल हो सकती है..
Rahul Gandhi Case : बता दे की Supreme Court के आदेश अनुसार, कोर्ट की टिप्पणी के अलावा ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई विशेष कारण नहीं बताया गया, यदि सजा एक दिन भी कम होती तो अयोग्यता से संबंधित प्रावधान लागू नहीं होता, ट्रायल जज से कम से कम यह अपेक्षा की जाती है कि को गैर संज्ञेय अपराध के लिए अधिकतम सजा देने के कारण बताएं। हालांकि, अपीलीय अदालत और हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने में काफी पन्ने खर्च किए हैं, लेकिन इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया है, ऐसे मामलों में सार्वजनिक व्यक्ति से कुछ हद तक सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है..
आदेश के अनुसार, ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभाव व्यापक हैं :
Rahul Gandhi Case : आदेश के अनुसार, ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभाव व्यापक हैं, इससे न केवल राहुल गांधी का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ। इन बातों को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से ये कि ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा के लिए कोई कारण नहीं दिया गया है जिससे अयोग्यता हुई है, कार्यवाही के लंबित रहने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है..
Rahul Gandhi Case : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बयान अच्छे मूड में नहीं होते हैं, सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है, कोर्ट ने अवमानना याचिका में Rahul Gandhi के हलफनामे को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें अधिक सावधान रहना चाहिए था..
जानिए निचली अदालतों में हुआ क्या :
बता दे की निचली अदालत ने Rahul Gandhi को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी और इस वजह से इसके अगले ही दिन Rahul Gandhi की लोकसभा सदस्यता चली गई थी साथ ही Rahul Gandhi को अपना सरकारी घर भी खाली करना पड़ा था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को राहुल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था..
(Arish Ahmed Owner At statebreak.in) Journalist🔸