सतना। एकेएस के केंद्रीय सभागार में हिंदी दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के प्रोचांसलर अनंत कुमार सोनी, कुलपति प्रो.बी.ए. चोपडे़, इंजी.आर.के.श्रीवास्तव और शिक्षा विभाग के अधिष्ठाता डॉ. आर. एस. निगम ने सरस्वती माता की पूजा अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।संचालन करते हुए डॉ. शिखा त्रिपाठी ने हिंदी दिवस की गरिमा, महिमा एवं उसके महत्व को पहचानने के लिए सभी छात्रों एवं छात्र अध्यापकों का ध्यान आकर्षित किया ।इंजी.आर.के. श्रीवास्तव ने सरल शब्दों से बताने का प्रयास किया की हिंदी ही हमारे देश की एक सूत्र में बांधने वाली भाषा है। इसका सम्मान करना हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है ।शिक्षा विभाग के अधिष्ठाता डॉ.आर. एस. निगम ने हिंदी भाषा की गरिमा और महिमा का वर्णन करते हुए हिंदी को देश की सर्वोच्च भाषा निरूपित किया उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा केवल हमारे द्वारा ही तिरस्कार पा रही है जब हमें अपने देश की हिंदी भाषा के लिए हिंदी दिवस मनाना पड़े इससे दुख की बात क्या होगी कि हमें लोगों को जागृत करना पड़ रहा है। प्रो चांसलर अनंत कुमार सोनी ने हिंदी भाषा के महत्व को बताते हुए छात्र अध्यापकों को समझाया कि बच्चों को बोलना सीखने में 3 साल लग जाता है जबकि बोलना कैसा है,किस लहजे में बात करनी है, कहां कैसे और कब किस प्रकार के भाव व्यक्त कर रहे हैं यह सीखने में सारी जिंदगी गुजर जाती है यदि हम सब अपने बोलने के साथ-साथ बोलने के तरीके को भी सीख ले यह हिंदी से प्राप्त हो सकते हैं तो हमारी हिंदी देश की ही नहीं दुनिया की सबसे समृद्ध एवं शक्तिशाली भाषा होगी। विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. आर.एस. त्रिपाठी ने भी हिंदी को राष्ट्र की आन ,बान और शान निरूपित करते हुए अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से छात्र अध्यापकों का सभागार में मन मोह लिया।
कुलपति प्रो.बी. ए.चोपडे़ ने राष्ट्र को जोड़ने वाली भाषा हिंदी को बताया और कहा कि यह भारत की ही नहीं दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है। शिक्षा विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ. आर.एस. मिश्रा ने सभी का आभार करते हुए कहा कि आज हिंदी भारत में लगभग 77% लोगों के द्वारा बोली जाती है, समझी जाती है ,जानी जाती है क्यों ना हम इसे राष्ट्रभाषा का सम्मान प्रदान करें। आज यह हमारे देश की राजभाषा बनकर रह गई है जबकि अंग्रेजी को 10 साल के लिए ही भारत में सरकारी कामकाज की भाषा के रूप में स्वीकृत किया गया था। लेकिन आज वह प्रथम भाषा के रूप में हमारे ही लोगों द्वारा सुशोभित की जा रही है। हम अंग्रेजी का तिरस्कार तो ना करें किंतु हिंदी का सम्मान अवश्य करें। क्योंकि वह मातृभाषा है और मातृभाषा में ही कोई भी शिशु सोचता है ,कल्पना भी करता है और भावी योजनाएं बनाता है। विभाग के छात्रों ने भी हिन्दी का गुण गान किया। कुंदन अहिरवार ने वीर रस युक्त कविता और ओजस्वी भाषण के माध्यम से हिंदी का मान और सम्मान दिलाने की भावना व्यक्त की। और एनसीसी और यूसीसी से आए हुए छात्रों ने कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी कविताओं और भाषण के माध्यम से हिंदी की गरिमा का बखान किया। विभाग के प्राध्यापक आमिर हसीब सिद्दीकी तथा श्रीमती सीमा द्विवेदी ने हिंदी का गौरव गान किया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर कैप्टन रावेद्र सिंह परिहार और विभिन्न विभागों से आए हुए शिक्षक गण मौजूद थे जिनकी उपस्थिति में हिंदी के महत्व को व्यक्त करने वाली कविताओं या उद्बोधन के प्रतिभागियों को सम्मानित भी किया गया जिसमें अजय पांडे को प्रथम,कुंदन अहिरवार को द्वितीय और शुभम पटेल को तृतीय पुरूस्कार मिला। कार्यक्रम में डॉ. भगवान दीन, डॉ. कल्पना मिश्रा ,कुमारी पूर्णिमा सिंह, नीता सिंह गहरवार ,नीरू सिंह ,डॉ. सानंद कुमार गौतम, डॉ. रमा शुक्ला,शिवम पांडे और डॉ. दीपक मिश्रा की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही ।
(Arish Ahmed Owner At statebreak.in) Journalist🔸