उमरिया। जिले में नल जल योजना पूरी तरह फेल हो नजर आ रही है और लोग पानी की एक-एक बंूद के लिए मार्च के महीने में ही यहां-वहां भटक रहे हैं। अब इसे अधिकारियों की उदासीनता कहें या लापरवाही, जो अभी तक गांवों में नल जल योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। इसका खामियाजा भोली-भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है। गर्मी के शुरुआती महीने में ही पेयजल संकट इतना गहरा गया है कि, लोग जंगल में स्थित गड्ढे का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं।इस समस्या की सच्चाई करकेली विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत टकटई के छपरा टोला की तस्वीर खुद बयां कर रही है। छपरा टोला के आदिवासियों को पीने के पानी के लिए पथरीले रास्तों पर चलकर पांच किलोमीटर दूर जंगल में स्थित गड्ढे का दूषित पानी डिब्बों में भरकर लाना पड़ता है। पीने का पानी लाने के लिए परिवार के सभी सदस्य महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग अल सुबह डिब्बे, बर्तन, बाल्टी आदि लेकर जंगल की ओर निकल पड़ते हैं। हालांकि यह पानी देखने से ही काफी दूषित लगता है, लेकिन प्यास बुझाने की मजबूरी के चलते बेबस आदिवासी इसी पानी को पीने के लिए मजबूर हैं।
इनका कहना है:

पानी से संबंधित ग्रामीणों की समस्या संज्ञान में आई है। शीघ्र ही उचित व्यवस्था करने का प्रयास करेंगे।अंबिकेश सिंह, एसडीएम, करकेली।
चुनाव के समय जनप्रतिनिधि समस्या दूर करने का वादा तो करते हैं, लेकिन वोट लेने के बाद वह इधर झांकने भी नहीं आते। रामखेलावन सिंह, निवासी, छपरा टोला।
कई बार शिकायत करने के बावजूद संबंधित विभाग पानी की समस्या के समाधान करने को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहा है।दशरथ सिंह, स्थानीय निवासी।
हम छोटे बच्चों को घर में सोता छोड़कर भोर में ही पानी लेने के लिए जंगल चले जाते हैं। तब जाकर परिवार के सदस्यों की प्यास बुझ पाती है। गेंदा बाई कोल, निवासी, छपरा टोला

हमारे सामने गड्ढे का दूषित पानी पीने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है। क्योंकि हमारे गांव में एक भी हैंड पंप नहीं है, अधिकारी भी ध्यान नहीं देते हैं। सुमित्रा बाई, निवासी, छपरा टोला

(Arish Ahmed Owner At statebreak.in) Journalist🔸